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भा.प्रौ.सं.कानपुर

वाद-विवाद एवं चर्चाएँ

आपकी शैक्षणिक एंव व्यावसायिक यात्रा के दौरान सहयोगात्मक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए वाद-विवाद एंव चर्चाएँ अंतर्निहित हैं। ये संवाद विचारों के आदान-प्रदान, ज्ञानार्जन एंव तार्किक क्षमताओं को तीव्र करने के लिए बहुमूल्य अवसरों के रूप में कार्य करते हैं। हालाँकि, यह भी संभव है कि सही तरीके न संचालित होने वाली बहस एंव चर्चाएँ कभी-कभी अनुत्पादक हो सकती हैं। निम्नलिखित अनुशंसाओं पर विचार करके सार्थक एंव रचनात्मक सहभागिता सुनिश्चित की जा सकती है।

Clarify the Purpose

उद्देश्य स्पष्ट करें

किसी भी बहस अथवा चर्चा का प्राथमिक उद्देश्य सूचना एंव दृष्टिकोण का आदान-प्रदान करना होना चाहिए, न कि केवल दूसरे पक्ष को समझाने का प्रयास। विचारों का वास्तविक आदान-प्रदान ज्ञान सृजन को बढ़ावा देता है, जबकि अनुनय का परिणाम अक्सर अप्रभावी संवाद एंव उलझी हुई स्थिति में होता है।

Adopt an Open-Minded Approach

खुले विचारों वाला दृष्टिकोण अपनाएँ

दूसरे व्यक्ति के दृष्टिकोण को व्यापक रूप से समझने के लिए जानबूझकर एंव ईमानदारी से बहस एंव चर्चा में शामिल हों। सशक्त पूर्वाग्रह सूचना के आदान-प्रदान को बाधित करता है, जबकि महत्वहीन पूर्वाग्रह भी कुशल संवाद को बाधित कर सकता है। तटस्थ रहना स्वीकार्य है लेकिन इससे चर्चा की अवधि लंबी हो सकती है। तटस्थता से समझौता किए बिना एक सामान्य, रचनात्मक सकारात्मक पूर्वाग्रह, तीव्र एंव गहन सूचना आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान कर सकता है।

Focus on Outcomes

प्राप्त परिणामों पर ध्यान केंद्रित करें

सफल वाद विवादों एंव विचार-विमर्शों के परिणामस्वरूप दूसरों के दृष्टिकोणों की बेहतर समझ विकसित होनी चाहिए, साथ ही व्यक्तिगत बहसों के आधार पर आपके स्वयं के दृष्टिकोण में उल्लेखनीय रूप से, मामूली रूप से अथवा बिल्कुल भी विकसित न होने की संभावना नहीं होनी चाहिए। विचारों के आदान-प्रदान की सफलता का मूल्यांकन आदान-प्रदान की गई जानकारी की सीमा एंव प्राप्त ज्ञान के आधार पर किया जाना चाहिए।

इन सिद्धांतों के ध्यानार्थ बहस एंव चर्चा करने से न केवल आपके बौद्धिक वार्तालाप की गुणवत्ता विकसित होती है बल्कि विचारों के अधिक उत्पादक एंव समृद्ध आदान प्रदान को भी बढ़ावा मिलता है।